शिष्टाचार का मह्त्व
"शिष्टाचार" का अर्थ है सभ्य व्यवहार, अच्छे संस्कार, या आदर-सत्कार।
शिष्टाचार के मुख्य सिद्धांत सम्मान, विचार और ईमानदारी हैं। सम्मान का अर्थ है किसी और के गुणों और सीमाओं को स्वीकार करना, विचार में उनकी ज़रूरतों और अधिकारों को समझना शामिल है, और ईमानदारी एवंम निष्ठा के साथ काम करना है। ये तीन गुण सांस्कृतिक संदर्भ के आधार पर शिष्टाचार के विभिन्न सामान्य उदाहरणों को आकार देते हैं, जैसे झुकना या हाथ मिलाना।
शिष्टाचार जीवन का दर्पण है जिसमें हमारे व्यक्तित्व का स्वरूप दिखाई देता है। शिष्टाचार के माध्यम से ही मनुष्य का प्रथम परिचय समाज से होता है। अच्छा या बुरा, दूसरों पर कैसा प्रभाव पड़ता है यह हमारे उस व्यवहार पर निर्भर करता है जो हम दूसरों से करते हैं। शिष्ट व्यवहार का दूसरों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है, दूसरों को सद्भावना आत्मीयता और सहयोग की प्राप्ति होती है। साथ ही समाज में लोकप्रियता बढ़ती है। इसके विपरीत अशिष्ट व्यवहार दूसरों में घृणा, द्वेष, पैदा कर देता है।




अच्छे आचरण को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:-
स्कूल में अच्छे शिष्टाचार

खाना खाने से पहले हाथ धोएँ, खाना अच्छी तरह चबाएँ और मुँह बंद करके खाएँ। साथ ही घर से बाहर निकलने से पहले माता-पिता की अनुमति अवश्य लें। सबसे बढ़कर, आप अपनी बातचीत में 'धन्यवाद' और 'कृपया' शब्दों का प्रयोग करें। काम के दौरान बड़ों के प्रति अच्छे व्यवहार का पालन करें। साथ ही, आपको अपना काम समय पर पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए।
इसके अलावा,आपको अपने सहकर्मियों का सम्मान करना चाहिए। आपको कार्यालय में समय का पाबंद होना चाहिए। काम करते समय गपशप न करें और दूसरों का ध्यान भंग न करें।आपको दूसरों के काम में दखलंदाजी नहीं करनी चाहिए और अगर उन्हें कोई परेशानी है तो उनकी मदद करें। अंत में, भ्रष्टाचार में न पड़ें और अपना काम ईमानदारी और लगन से करें।
अवनी अशवार
राधिका एजुकेयर स्कूल, जामनगर ।
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