इस शुभ अवसर की उत्पत्ति प्राचीन हिंदू पौराणिक कथाओं से जुड़ी है, जब भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद अयोध्या वापस आए थे। माना जाता है कि अमावस्या के दिन अयोध्या के लोगों ने दीये जलाकर उनका स्वागत किया था, साथ ही अपने घरों को रंगोली से सजाया था।
इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा बहुत श्रद्धा से की जाती है। अक्सर कहा जाता है कि इस दिन वह धरती पर आती हैं और अपने भक्तों को स्वास्थ्य और सफलता प्रदान करती हैं। इस दिन का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है, यह दिन अंधकार पर प्रकाश की जीत के साथ-साथ बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर ज्ञान की जीत का प्रतीक है।
दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत का एक प्रमुख और सबसे प्रिय त्योहार है। यह त्योहार हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। दिवाली का अर्थ है "दीपों की पंक्ति," और इस दिन लोग अपने घरों को दीपक और मोमबत्तियों से सजाते हैं।
त्योहार की तैयारी
दिवाली की तैयारियाँ कई दिन पहले से शुरू हो जाती हैं। घरों की सफाई, रंगोली बनाना, और खरीदारी करना इस समय की विशेषताएँ हैं। लोग नए कपड़े और मिठाइयाँ खरीदते हैं और अपने रिश्तेदारों एवं मित्रों के साथ आदान-प्रदान करते हैं।
पूजा और अनुष्ठान
दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। लोग उनके स्वागत के लिए अपने घरों में दीप जलाते हैं। लक्ष्मी पूजा के बाद लोग पटाखे जलाते हैं, जिससे आसमान रंग-बिरंगी रोशनी से भर जाता है।
मिठाइयाँ और विशेष व्यंजन
दिवाली पर खास मिठाइयों का महत्व है। गुड़, लड्डू, बर्फी, और कई अन्य मिठाइयाँ बनाई जाती हैं। ये न केवल परिवार के लिए, बल्कि दोस्तों और पड़ोसियों के साथ बांटने के लिए भी तैयार की जाती हैं।
समाज और एकता
दिवाली का त्योहार समाज में एकता और भाईचारे का संदेश फैलाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे के घर जाकर मिठाइयाँ बांटते हैं और शुभकामनाएँ देते हैं।
सांप्रत काल में दिवाली का बदलता स्वरूप
दिवाली, समृद्धि की ओर, आनंद की ओर, प्रकाश की ओर लेकर जाने वाला त्यौहार है। परंतु, आज की परिस्थिती को देखते हुए दीपावली अर्थात देवता, महापुरुषों के चित्रों वाले पटाखे फोडना, सिनेमा के गानों से युक्त दीपावली की सुबह, आंखों को कष्ट देने वाली और घातक चीनी दीपमाला और आकाश दीये की जगमगाहट, इन सभी के कारण दीपावली का संपूर्ण स्वरूप बदल गया है।
इससे नकारात्मकता बढ़ रही है। जिस लक्ष्मी की घर में पूजा करते हैं उसी के फोटो वाले पटाखे फोड कर हम चिथड़े उड़ा देते हैं। यह योग्य है क्या? ऐसे करने से वह प्रसन्न होगी क्या? घर में की गई पूजा का कुछ भी परिणाम न हो कर उससे देवताओं का अनादर ही होने वाला है।
निष्कर्ष
दिवाली सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह प्रेम, परिवार, और सामाजिकता का उत्सव है। यह हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है और जीवन में सकारात्मकता का संचार करता है। इस दिवाली, अपने प्रियजनों के साथ मिलकर इस उजाले और खुशियों के त्योहार का आनंद लें।
प्रस्तुति
अवनी असवार, अध्यापिका
राधिका एड्युकेयर स्कूल
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