शिष्टाचार का मह्त्व "शिष्टाचार" का अर्थ है सभ्य व्यवहार, अच्छे संस्कार, या आदर-सत्कार। शिष्टाचार के मुख्य सिद्धांत सम्मान, विचार और ईमानदारी हैं। सम्मान का अर्थ है किसी और के गुणों और सीमाओं को स्वीकार करना, विचार में उनकी ज़रूरतों और अधिकारों को समझना शामिल है, और ईमानदारी एवंम निष्ठा के साथ काम करना है। ये तीन गुण सांस्कृतिक संदर्भ के आधार पर शिष्टाचार के विभिन्न सामान्य उदाहरणों को आकार देते हैं, जैसे झुकना या हाथ मिलाना। शिष्टाचार जीवन का दर्पण है जिसमें हमारे व्यक्तित्व का स्वरूप दिखाई देता है। शिष्टाचार के माध्यम से ही मनुष्य का प्रथम परिचय समाज से होता है। अच्छा या बुरा, दूसरों पर कैसा प्रभाव पड़ता है यह हमारे उस व्यवहार पर निर्भर करता है जो हम दूसरों से करते हैं। शिष्ट व्यवहार का दूसरों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है, दूसरों को सद्भावना आत्मीयता और सहयोग की प्राप्ति होती है। साथ ही समाज में लोकप्रियता बढ़ती है। इसके विपरीत अशिष्ट व्यवहार दूसरों में घृणा, द्वेष, पैदा कर देता है। अकृत्यं नैव कर्तव्यं प्राण त्यागेऽप्यु परिस्थते। ...